Wednesday, 12 April 2017


स्वतन्त्र देव सिंह (जन्म 13 फरवरी 1964), मिर्जापुर, उ0प्र0 भारत) वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश के प्रदेश महामन्त्री हैं। इनका जन्म 13 फरवरी 1964 ई0 को मिर्जापुर, उ0प्र0 के एक ग्रामीण परिवार में हुआ था। इनकी माता का नाम श्रीमती रामा देवी है तथा पिता का नाम स्व0 अल्लर सिंह एवं पत्नी का नाम कमला देवी है।
बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार के होने के बावजूद भी आप अपने परिवार अथवा रिश्तेदारों में से प्रथम व्यक्ति हैं जो आर.एस.एस. से जुड़े हुए वर्तमान में बी0जे0पी0 जैसी राजनीतिक पार्टी के माध्यम से उ0प्र0 की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं तथा बी0जे0पी0 की तरफ से भारतीय राजनीति में एक उभरते हुए चेहरे के रूप में दिखाई दे रहे हैं।
  • प्रारम्भिक जीवन।
  • राजनैतिक जीवन की यात्रा।
  • भारतीय जनता पार्टी में विभिन्न पदों पर रहते हुए उनके द्वारा निभाई गयी महत्वपूर्ण भूमिका।
  • भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेताओं के साथ किये गये कार्य।
  • अन्य क्षेत्रों में विभिन्न पदों पर किये गये कार्य।
  • पुरस्कार एवं उपलब्धियां।
  • जीवन के प्रमुख तथ्य।
प्राम्भिक जीवन

अपनी प्रारम्भिक शिक्षा मिर्जापुर गांव के एक प्राथमिक विद्यालय से शुरू कर बुन्देलखण्ड वि0वि0 झांसी से बी-एस0सी0 (जीव विज्ञान) से स्नातक की डिग्री हासिल की आगे की शिक्षा नहीं प्राप्त की क्योकि ये “विद्यार्थी परिषद नकल अधिवेशन” के सदस्य बन गए थे। आप अनुशासित जीवन बिताने, बचपन से नेतृत्व करने तथा लोगों की मदद करने की भावना से ओत-प्रोत थे। अपनी इस भावना का प्रयोग करने के लिए उन्हें अब किसी संगठन की आवश्यकता थी ओर सन् 1986 ई0 में उन्होंने आरएसएस से जुड़कर स्वयंसेवक के रूप में संघ का प्रचारक का कार्य करना प्रारम्भ कर दिया।

राजनैतिक जीवन की यात्रा 

सन् 1988-89 ई0 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ए.बी.वी.पी.) में संगठन मन्त्री के रूप में कार्य भार ग्रहण किया। यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की यात्रा प्रारम्भ होती है। अपनी कड़ी मेहनत एवं संघर्षशील स्वभाव के कारण ही वे संगठन में काफी लोकप्रिय हुए। सन् 1991 में भाजपा कानपुर के युवा शाखा के युवा मोर्चा प्रभारी थे। सन् 1994 ई0 में भारतीय जनता पार्टी (बी0जे0पी0) के बुन्देलखण्ड के युवा मोर्चा शाखा के प्रभारी के रूप में कार्यभार ग्रहण करके इन्होंने एक विशुद्ध राजनीतिज्ञ के रूप में भारतीय राजनीति में पदापर्ण किया। जल्द ही इन्हें पार्टी ने सन् 1996 ई0 में युवा मोर्चा का महामन्त्री नियुक्त किया। अपने नेतृत्व कुशलता का लोहा मनवाने के कारण ही इन्हें पुनः सन् 1998 ई0 में भाजपा युवा मोर्चा का महामन्त्री बनाया गया। 2001 में भाजपा के युवा मोर्चा के प्रेसीडेण्ट भी बने। इसके बाद 2004 में विधान परिषद के सदस्य चुने गये तथा इसी वर्ष भारतीय जनता पार्टी उ0प्र0 के प्रदेश महामन्त्री भी बनाये गये। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश इकाई के अन्तर्गत वर्ष 2004 से वर्ष 2014 ई0 तक दो बार महामन्त्री एवं 2010 में उपाध्यक्ष और फिर 2012 से अब तक महामन्त्री बनाये जाने से ही उनके नेतृत्व क्षमता एवं समर्पण की भावना का पता चलता है।

भारतीय जनता पार्टी में विभिन्न पदों पर रहते हुए उनके द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका:

बिना किसी लालसा के पार्टी द्वारा जो भी जिम्मेदारी दी गयी उसे निभाते हुए भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश में सफलता हेतु उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एक कहावत है कि कोई बोले न बोले व्यक्ति का कार्य बोलता है। ठीक इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में भाजपा की प्रत्येक रैली धरना-प्रदर्शन एवं चुनावी रणनीति के प्रमुख कर्ता-धर्ता होने के कारण अब उनका कार्य उन्हें पर्दे के पीछे से उन्हें सामने मुखर कर रहा है। उन्होंने प्रदेश के भाजपा के चुनाव अधिकारी एवं प्रदेश के सदस्यता प्रमुख रहते हुए अनेकों लोगों को सदस्यता दिला कर पार्टी को मजबूत किया। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश एवं देश में भाजपा के प्रमुख अधिवेशनों, रैलियों, राजनैतिक यात्रा, बैठकों, कार्यक्रमों एवं धरना-प्रदर्शन में उनकी भूमिकाओं का विवरण निम्न प्रकार है:-
  • 2002 में प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय में बीजेपी युवा मोर्चा अधिवेशन आहूत कराया।
  • भाजपा का ‘सीमा जागरण यात्रा’ (सहारनपुर से पीलीभीत बॉर्डर से गोरखपुर से बिहार तक) कराया।
  • ‘आतंकवादी’ अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आगरा में आहूत कराया।
  • उमा भारती जी के गंगा यात्रा में गढ़मुक्तेश्वर (मुरादाबाद) से बलिया तक प्रमुख इंचार्ज रहे।
  • 2009 में श्री लाल कृष्ण आडवाणी की रैली के प्रमुख कर्ता-धर्ता रहे।
  • लोक सभा चुनाव 2014 में यू0पी0 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभी रैलियों के प्रमुख कर्ता-धर्ता एवं संचालक रहे।
भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेताओं के साथ किये गये कार्य-
  • श्री कलराज मिश्र एवं श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता के समय युवा मोर्चा के महामंत्री रहे।
  • श्री जी. किशन रेड्डी के समय में युवा मोर्चा के अध्यक्ष।
  • श्री शिवराज सिंह युवा सखा के राष्टीय उपाध्यक्ष के समय ये प्रदेश अध्यक्ष रहे।
  • श्री केशरीनाथ त्रिपाठी, श्री रमापति राम त्रिपाठी, श्री लक्ष्मीकान्त बाजपेयी जी के समय में महामन्त्री एंव श्री सूर्य प्रताप शाही के समय में प्रदेश के उपाध्यक्ष रहे।
अन्य क्षेत्रों में विभिन्न पदों पर किये गये कार्य-
  • नकल अध्यादेश के दौरान संगठन की ओर से भाषण हेतु नियुक्त।
  • संस्कृत महाविद्यालय उरई के अध्यक्ष के रूप में।
  • चित्रा डिग्री कालेज के चेयरमैन रहे।
  • कानपुर से प्रकाशित स्वतन्त्र भारत दैनिक समाचार पत्र के जिला संवाददाता रहे।
पुरस्कार एवं उपलब्धियां-
  • एन.सी.सी. टैकिंग कैम्प में सहभागिता।
  • इण्टर कालेज में कुश्ती टीम के कैप्टन रहे।
  • 2004 में चाइना में हुए यूथ कान्फ्रेन्स में भाग लिया।
  • सिंगापुर की यात्रा की।
यू0पी0 विजन-

‘‘उत्तर प्रदेश के गांव, गरीब, किसान विद्यार्थियों का विकास कर एक विकसित प्रदेश बनाने का सपना।’’

जीवन के प्रमुख तथ्य-
  • बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से सम्बन्धित एक जमीनी नेता।
  • एक अच्छे वक्ता तथा मंच संचालक हिन्दी भाषा पर मजबूत पकड़ वाले।
स्वतंत्र देव सिंह को भाजपा में शामिल होने के लिए की प्रेरणा-

ब्रिटिश सरकार की भारत विभाजन की गुप्त योजना और षड्यन्त्र को एक कांग्रेस के नेताओं ने अखण्ड भारत सम्बन्धी अपने वादों को ताक पर रखकर स्वीकार कर लिया। उस समय डॉ॰ मुखर्जी ने बंगाल और पंजाब के विभाजन की माँग उठाकर प्रस्तावित पाकिस्तान का विभाजन कराया और आधा बंगाल और आधा पंजाब खण्डित भारत के लिए बचा लिया। गान्धी जी और सरदार पटेल के अनुरोध पर वे खण्डित भारत के पहले मन्त्रिमण्डल में शामिल हुए। किन्तु डॉ॰ मुखर्जी के राष्ट्रवादी चिन्तन के चलते अन्य नेताओं से मतभेद बराबर बने रहे। फलत: राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानने के कारण उन्होंने मन्त्रिमण्डल से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने प्रतिपक्ष के सदस्य के रूप में अपनी भूमिका निर्वहन को चुनौती के रूप में स्वीकार किया और शीघ्र ही अन्य राष्ट्रवादी दलों और तत्वों को मिलाकर एक नई पार्टी बनायी जो उस समय विरोधी पक्ष के रूप में सबसे बडा दल था। उन्हें पं० जवाहरलाल नेहरू का सशक्त विकल्प माने जाने लगा। अक्टूबर, 1951 में भारतीय जनसंघ का उद्भव हुआ जिसके संस्थापक अध्यक्ष के रूप में डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम इतिहास में दर्ज़ हो गया। संसद में उन्होंने सदैव राष्ट्रीय एकता की स्थापना को प्रथम लक्ष्य रखा। संसद में दिये गये अपने भाषण में उन्होंने पुरजोर शब्दों में कहा था कि राष्ट्रीय एकता की शिला पर ही भविष्य की नींव रखी जा सकती है। क्योंकि इस समय इनका बहुत महत्व है। इन्हें आत्म सम्मान तथा पारस्परिक सामंजस्य के साथ सजीव रखने की आवश्यकता है। डॉ॰ मुखर्जी जम्मू–कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उस समय जम्मू–कश्मीर का अलग झण्डा और अलग संविधान था। वहाँ का मुख्यमन्त्री (वजीरे-आजम) अर्थात् प्रधानमन्त्री कहलाता था। ऐसी परिस्थितियों में डॉ॰ मुखर्जी ने जोरदार नारा बुलन्द किया– एक देश में दो निशान, एक देश में दो प्रधान, एक देश में दो विधान नहीं चलेंगे, नहीं चलेंगें। संसद में अपने ऐतिहासिक भाषण में डॉ॰ मुखर्जी ने धारा–370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की। अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली में उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया कि या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊँगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूँगा। उन्होंने तात्कालिक नेहरू सरकार को चुनौती दी तथा अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहे। अपने संकल्प को पूरा करने के लिये वे 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू–कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े। वहाँ पहुँचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नजरबन्द कर लिया गया। 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। इस प्रकार वे भारत के लिये एक प्रकार से शहीद हो गये। डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के रूप में भारत ने एक ऐसा व्यक्तित्व खो दिया जो हिन्दुस्तान को नयी दिशा दे सकता था।

Tuesday, 20 January 2015

माननीय प्रदेश प्रभारी श्री ओम प्रकाश माथुर जी के साथ गोरखपुर में सदस्यता अभियान की "समीक्षा बैठक" लेते हुए ।



बुंदेलखंड क्षेत्र :- "समीक्षा बैठक" - उत्तर प्रदेश प्रभारी मा० ओम प्रकाश माथुर जी , प्रदेश महामन्त्री (संगठन) मा० सुनील बंसल जी, प्रदेश उपाध्यक्ष - श्री अशोक कटारिया जी के साथ I 


Sunday, 18 January 2015

ललितपुर में घंटाघर चौराहे पर सदस्यता कैंप का निरीक्षण किया।









Thursday, 15 January 2015

On 67th Indian Army Day, I salute the courageous and valiant Indian solidiers who sacrificed their lives to protect the country and the people living in it. Indian army plays a great and big role in the country. This day is marked to memorize all the courageous and brave soldiers who lost their lives while protecting their Nation.
                                          धरती माँ के सच्चे बेटे, सर पर कफ़न बांध कर बैठे है,
                                          नींद नहीं उनकी आँखों मे ताकि हम सब चैन से लेटे,
                                          देश की रक्षा के खातिर वे वीरगति को पाते है,
                                          देश के वीर सिपाही देखो! माँ का क़र्ज़ निभाते है ।
 

Wednesday, 14 January 2015

On the occasion of Makar Sankranti, I wish May this festival brighten your lives, and fill your life with Prosperity & Happiness. In Hindu Mythology this is the first of the big bathing days. Over two million people gather at their respective sacred places for this holy bathing such as Allahabad and Varanasi in Uttar Pradesh and Haridwar in Uttarakhand.  (मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर  समस्त देशवासियो हार्दिक शुभकामनाएं । )


Tuesday, 13 January 2015

wish you a very Happy Lohri and your family. May the Lohri fire burn all the moments of sadness and bring you warmth of joy, happiness and love.

Monday, 12 January 2015

Birth Anniversary of Swami Vivekanand. Swami Vivekananda is revered as one of the most prolific thinkers, great philosopher & ideal of youths. I salute him and his teachings. ( महान राष्ट्रभक्त, युवाओ के प्रेरणा स्वामी विवेकानंद जी की  जयंती पर उनको  कोटि कोटि नमन। )




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